मंकीपॉक्स वायरस क्या है?
मंकीपॉक्स वायरस एक ऐसा वायरस है जो की जानवरों से मनुष्य में फैलता है। इस वायरस के लक्षण स्मॉलपॉक्स के रोगियों से मिलते जुलते हैं।
मंकीपॉक्स वायरस से जुड़ी मुख्य बातें
- मंकीपॉक्स एक वाइरल जूनोटिक बीमारी है, जो अफ्रीका के मध्य तथा पश्चिमी उष्णकटिबंधीय वर्षा वाले क्षेत्रों में पाया जाता है।
मगर कभी कभी यहां से विश्व के अन्य देशों में भी फैल जाता है।
- मंकीपॉक्स नामक बीमारी मंकीपॉक्स वायरस के कारण होती है जो कि ऑर्थोपॉक्सवायरस जीन्स परिवार का सदस्य है।
- बीमारी के लक्षणों में मुख्य रूप से बुखार, सूजन तथा शरीर पर दाने तथा लिंफ नोड्स दिखाई देती है।
- ये वायरस ज्यादातर जंगली जानवरों से मनुष्यों में फैलता है जैसे कि Rodent and Primates प्राइमेट्स मगर मनुष्य से मनुष्य में भी यह फैल सकता है।
- Monkeypox वायरस सांस की बूंदों, घाव, बिस्तर, तथा दूषित सामग्री के संपर्क में आने से दूसरे मनुष्य में फैलता है।
- यह वायरस चेचक से मिलता जुलता है जो की एक orthopoxvirus संक्रमण से संबंधित है जिसे 1980 में खत्म कर दिया गया था।
मंकीपॉक्स वायरस आउटब्रेक
मनुष्य में सबसे पहली बार मंकीपॉक्स वायरस 1970 में संत कांगो में पाया गया था। सन् 1970 के बाद अफ्रीका के अन्य 11 देशों में मंकीपॉक्स वायरस के मंकीपॉक्स वायरस के मनुष्य फैलने के सामने आए। अन्य देशों में भी इस वायरस के फैलने अफीका ही था।सन 2003 में अमेरिका में भी इस वायरस के फैलने की पुष्टि हुई।हाल ही में सन 2018 में सितम्बर के महीने में इजरायल में भी इसके केस सामने आए।
फिर सितम्बर 2018 में ब्रिटेन इसके मामले सामने आए और अब फिर से 2021 में Monkeypox के मामले मनुष्यों में पाए गए हैं।इस वायरस के 2 अलग अलग आनुवंशिक समूहों की पहचान की गई।
माना जाता है कि ऐसा दो समूहों का विभाजन कैमरुन में हैं और यह विश्व का अकेला ऐसा स्थान है
जहां पर इन दोनों बंदरों के वायरस का पता चला है।
Monkeypox का transmission Kaise होता है
- इस वायरस का संक्रमण रक्त, संक्रमित जानवरों के शारीरिक संपर्क, घावों के संपर्क में आने से इस वायरस का transmission होता है
- अच्छे से ना पका हुआ मांस तथा संक्रमित जानवरों के मांस से बने उत्पादों के सेवन करने से भी इसके फैलने के जोखिम बढ़े हैं।
- इसका संक्रमण श्वसन, दूषित वस्तुओं तथा संक्रमित व्यक्ति के घांवों के संपर्क में आने से भी monkeypox फैलता है।
- सांस की बूंदों से व्यक्ति तभी संक्रमित होगा जब वह किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में लंबे समय तक बना रहता है।
- यदि कोई गर्भवती महिला है, तो उसके बच्चे में भी इसका संक्रमण हो सकता है।
Monkeypox के Signs and Symptoms in Hindi
यदि कोई monkeypox से संक्रमित होता है तो उसमें लक्षणों कि शुरुवात 6-13 दिनों तक होती है।
मगर कई मामलों में यह 5-21 तक भी हो सकती है।
Monkeypox के infection को दो भागों में विभाजित किया गया है
- शुरुवात के 1-5 दिनों तक monkeypox virus संक्रमित को तेज सिरदर्द, बुखार, lymphadenopathy, कमर दर्द, कमजोरी, तथा मांशपेशियों में दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। Limphedenopathy Monkeypox का सबसे main symptom है।
- Monkeypox virus में बुखार के 1-3 दिनों के बाद त्वचा का फटना शुरू हो जाता है।इसमें दाने चेहरे तथा हाथ एंवम पैरो पर ज्यादा होते हैं। यह वायरस चेहरे को 95% तथा हाथ व पैरो को 75% मामलों में प्रभावित करता है।मुंह को 70% व जननांग को 30% प्रभावित करता है इसमें दाने थोड़ा उभरे हुए,तरल पदार्थ से भरे हुए घाव तथा पीले रंग के तरल से भरे हुए घाव आदि विकसित होते हैं।
इसमें घावों की संख्या हजारों में होती है। Monkeypox virus 2 से 4 हफ्तों तक चलने वाली बीमारी है जो अपने आप ख़तम हो जाती है। इस वायरस के ज्यादातर गम्भीर मामले बच्चों में देखे गए हैं।
मंकीपॉक्स वायरस की जांच कैसे करें?
- शुरुआत के लक्षणों में सबसे पहले इस बात का ध्यान रखें कि चिकन पोक्स, बैक्टीरियल इंफेक्शन स्कैबीज मीजल्स जैसी बीमारियों के लक्षणों से monkepox virus के लक्षण कितने भिन्न हैं।
- Monkeypox Virus के शुरुआती लक्षणों में लिम्फाडेनोपैथी के लक्षण सामने आते हैं जो कि चिकन पॉक्स और स्मॉलपॉक्स जैसे वायरसों से इसे अलग करता है।
- यदि कोई सस्पेक्टेड है तो उसको जांच करवानी चाहिए।
- मंकीपॉक्स वायरस की जांच के लिए पॉलीमर्स चेन रिएक्शन (PCR) टेस्ट लैबोरेट्री से करवाए।यह टेस्ट मंकीपॉक्स कि संवेदनशीलता तथा सटीकता जानने के लिए अति महत्वपूर्ण माना गया है।
- घावों के नमूनों को एक सूखी ट्यूब मैं ठंडी जगह पर रखना चाहिए।
परीक्षण की सटीकता जानने के लिए महत्वपूर्ण जानकारियां
• सबसे पहले रोगी के पहले दिन के बुखार की तारीख पता करें।
• ये भी पता करें कि रोगी के शरीर पर दानों कि शुरुआत किस तारीख से हुई थी।
• सैंपल कब लिया गया था उसकी तारीख नोट करें।
• रोगी की वर्तमान स्थिती कैसी है तथा रोगी के दाने किस चरण पर पहुंचे हुए हैं।
• रोग की उम्र का पता लगाएं।
मंकीपॉक्स वायरस का उपचार और वैक्सीन
वर्तमान में मंकीपॉक्स का कोई विशेष उपचार नहीं है। मगर चेचक का टीका Monkeypox virus को रोकने में 85% तक प्रभावी है। मगर फिलहाल के समय में चेचक के टीके आम जनता के लिए उपलब्ध नहीं है।
वर्ष 2019 में मंकीपॉक्स को रोकने के लिए वैक्सिनीया नाम की एक वैक्सीन को मंजूरी दी गई थी जो कि अभी तक सभी लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है।
मंकीपॉक्स की शुरुआत कहाँ से हुई ?
वैज्ञानिक द्वारा जो प्रयोग किए हैं उनसे यह पता चलता है कि विभिन्न प्रकार की प्रजातियां के जानवरों द्वारा इस वायरस का संक्रमण फैला है जैसे कि पेड़ गैलरी गैम्बियन शिकार चूहे रस्सी गिलहरी तथा विभिन्न प्रकार के बंदर आदि शामिल है
मगर आज भी इसके इतिहास के बारे में संदेह बना हुआ है इसलिए इस क्षेत्र में अभी और शोध करने की आवश्यकता है।
मंकीपॉक्स से कैसे बचें ?
- वायरस से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि लोगों में जागरूकता बढ़ाई जाए।
- इस वायरस के क्या दुष्परिणाम हैं और कैसे इससे बचा जा सकता है।
- बचने के लिए वैक्सिनिया वैक्सीन के उपयोग की नीतियां बनानी चाहिए।
जूनोटिक ट्रांसमिशन क्या होता है?
किसी प्रकार का संक्रमण यदि पशुओं से मनुष्य के अंदर फैलता है तो उसे जूनोटिक ट्रांसमिशन कहते।
जूनोटिक ट्रांसमिशन को कम कैसे किया जाए ?
- जंगली जानवरों के संपर्क से बचना चाहिए।
- व मरे हुए जंगली जानवरों के संपर्क से बचें और ध्यान रखें कि इनका मांस बिल्कुल भी ना खाएं।
- कच्चा मांस खाने से बचें। यदि खाते हैं तो इस बात का ध्यान रखे की मांस अच्छे से पका हुआ हो।
मंकीपॉक्स को मनुष्य से मनुष्य में फैलने से कैसे रोकें?
- सबसे पहले तो नए मामलों जल्दी से जांच कि करनी चाहिए।
- वायरस से संक्रमित है तो उसके साथ संपर्क न बनाएं। रोगी से दूरी बनाकर रखें।
- स्वास्थ्य कर्मियों और उनके परिवार के सदस्यों को संक्रमण का खतरा अधिक रहता है इसलिए उन्हें विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए।
- मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित रोगी की कोई देखभाल करता है। तो इस बात का ध्यान रखें कि जिसे पहले चेचक का टीका लगा हुआ है उस व्यक्ति को उसकी देखभाल के लिए प्राथमिकता दें।
- के जॉच के लिए जो नमूने लिए गए हैं उनको अच्छी प्रयोगशालाओं में अच्छे से प्रशिक्षित कर्मचारियों के नियंत्रण में रखना चाहिए।
- के अनुसार रोगी के नमूनों को ट्रिपल पैकेजिंग के साथ सुरक्षित रूप से तैयार करना चाहिए।
मंकीपॉक्स व चेचक के आपस में क्या संबंध हैं?
मंकीपॉक्स और चेचक के लक्षण आपस में मिलते जुलते हैं। ये दोनों Orthopoxvirus family से सम्बन्धित है।जिसे पूरे विश्व भर से ख़तम कर किया जा चुका है।
चेचक बडी आसानी से फैलता था और ज्यादा घातक था क्योंकि इस बीमारी से 30% लोगों की मृत्यु हो जाती थी।चेचक का अंतिम मामला सन 1977 में आया था। 1980 में वैश्विक टिकाकरण करने के बाद चेचक की समाप्ति की घोषणा हो गई थी।
मगर पिछले 40 वर्षों से चेचक वेक्सिनिया के टीके का नियमित टीकाकरण बन्द हो चुका है और ये वैक्सिनिया टीका monkeypox virus में भी काफी प्रभावी है।
अब चिंता का विषय यह है कि जिन लोगों को यह टीका नहीं लगा है वो इस वायरस से जल्दी तथा अधिक प्रभावित होंगे।
वर्तमान में Monkeypox को रोकने के लिए क्या हो रहा है?
चेचक और मंकीपॉक्स से निपटने के लिए नए टीके, टेस्टिंग किट, तथा एंटीवायरल दवाइयाँ विकसित किए जा रहे हैं।
और अब इन दोनों बिमारियों की रोकथाम के लिए नए तरीके से वेक्सिनीया वैक्सीन के विकास को मंजूरी दी गई है।
ये सब प्रयास मंकीपॉक्स कि रोकथाम तथा नियंत्रण के लिए काफी फायदेमंद साबित होने वाले हैं।