अमृतधारा क्या है ? What is Amritdhara in Hindi?
अमृतधारा आयुर्वेद की एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि है, जो गर्मी एंव बदलते मौसम में होने वाली ज्यादातर बिमारियों को बड़ी आसानी से सही करती है। इस अमृत रूपी औषधि में विभिन्न प्रकार के गुणकारी तत्व जैसे की एंटीबायोटिक, एंटीसेप्टिक गुण, एंटी बैक्टीरियल,एनेस्थेटिक, विटामिन बी, गामा-टेरपीन, जैसे काफी गुण पाए जाते हैं।
ये गुण आपके शरीर में पाए जाने वाले बैक्टीरिया को जड़ से खत्म करने में सक्षम हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है की अमृतधारा के सेवन से आपको बहुत जल्दी ही लाभ मिल जाता है। इसी कारण से ही इस औषधि को सैंकड़ों वर्षों से उपयोग में लाया जाता है।
गर्मी की तपत व लु ,रेतीले आँधी-तूफान, रोजाना के खाने पीने में गड़बड़ी के कारण , उल्टी , सिरदर्द, बुखार , अपच , शरीर में दर्द , हैजा , दस्त ,अजीर्ण जैसे तीव्र रोग हमें घेर लेते हैं ।
ऐसे में आयुर्वेदिक औषधि अमृतधारा इन रोगों में बहुत ही उपयोगी साबित हो सकती है । इस दवा की दो –तीन बूंदों को एक कप ताजे पानी में मिलाकर पीने से ही रोगी को तुरंत फायदा मिलता है। अगर किसी को सिर में दर्द हो या कोई जहरीला ततैया काट ले तो उस जगह पर अमृतधारा
लगाने मात्र से ही ठीक हो जाता है । तथा गले में सूजन व दर्द के समय गरारे करने पर रोगी को तुरंत लाभ मिलता है । यह दवा पूरे परिवार के लिए लाभदायक सिद्ध हो सकती है क्योंकि यह पूर्ण रूप से प्राकृतिक औषधि है ।
अमृतधारा बनाने की विधि | Amritdhara Bnane Ki Vidhi
अमृतधारा को घर पर ही बड़े सरल तरीके से बनाया जा सकता है। तो चलिए जानते हैं अमृतधारा बनाने की विधि-
- देशी कपूर – 25 ग्राम
- अजवायन का सत – 25 ग्राम
- पुदीने का सत – 25 ग्राम
इन तीनों को समभाग मिलाने के बाद ये तीनों तेल मिलाए।
- लौंग का तेल – 20 ML
- तुलसी का तेल – 20 ML
- दालचीनी का तेल – 20 ML
अब इन सभी को अच्छे से मिलाकर एक काँच की शीशी में डालें तथा उसे एक ठण्डे स्थान पर रखें। अमृतधारा बहुत जल्दी तैयार होने वाली औषधि है। इसका प्रयोग अनेकों बीमारियों में किया जाता है।
ये तीनों किसी भी आयुर्वेद व पंसारी की दुकान पर आसानी से मिल सकते हैं। तथा इसे प्लास्टिक की शीशी में इसे कभी भी ना रखें।
अमृतधारा कैसे लेनी चाहिए | How to take Amritdhara in hindi
1. अमृतधारा दिन में तीन से चार बार ले सकते हैं।
2. अमृतधारा वयस्क 3 – 4 बून्द पानी आधा गिलास पानी के साथ मिलाकर लें सकते हैं यदि पानी के साथ नहीं ले पाए तो एक चम्मच चीनी या शक्कर में इसकी 2-3 बूंदें डालकर भी ले सकते हैं।
3.यदि आपको तकलीफ ज्यादा है तो 4 – 5 बूंदें ले सकते है। और ध्यान रहे की छोटे बच्चों को अमृतधारा एक बून्द से ज्यादा नहीं देना चाहिए।
अमृतधारा के फायदे | Amritdhara Benefits in Hindi
- हैजा – अगर किसी को हैजा है तो उसे एक चम्मच प्याज के रस में दो बूंद अमृतधारा डालकर पिलाने से हैजे में काफी राहत मिलती है।
- बदहजमी – अगर किसी को खाना अच्छे से हजम नहीं हो रहा है तो उसे थोड़े से पानी में तीन-चार बूंद अमृतधारा मिलाकर पीला देना चाहिए। इससे रोगी की बदहजमी दूर हो जाएगी
- इसके सेवन से पेटदर्द , उल्टी एंव दस्त भी ठीक हो जाते हैं। ठीक हो जाती है । चक्कर आने भी ठीक हो जाते हैं
- सिर दर्द – अमृतधारा की दो-तीन बूंदें माथे एंव कान के आस पास हल्की मालिश करने से सिरदर्द ठीक हो जाता है।
- छाती के दर्द में अमृतधारा को थोड़े मीठे तेल में मिलाकर छाती पर मालिश करें, इससे छाती के दर्द मे काफी आराम मिलता है।
- जुकाम में अमृतधारा सूंघने से सांस खुलकर आता है तथा ये बिल्कुल ठीक हो जाता है ।
- मुह के छालों के लिए अमृतधारा की एक – दो बूंद पानी में डालकर छालों पर लगाए इससे आपको काफी फायदा होगा।
- हृदय रोग में आंवले के मुरब्बे पर दो-तीन अमृतधारा की बूंदें डालकर खाएं। ये विशेष लाभकारी सिद्ध होगा।
- दांत दर्द में अमृतधारा की दो बून्द रुई पर डालकर दर्द वाली जगह पर लगाए, इससे दांत का दर्द पूरी तरह से नष्ट हो जाता है।
- खाँसी ,दमा एंव क्षयरोग में अमृतधारा की 4-5 बूंदें ताजे पानी में मिलाकर सुबह –शाम नियमित रूप से पियें। यह नुस्खा आपको काफी लाभदायक सिद्ध होगा।
- पेट दर्द में अमृतधारा की दो–तीन बूंदें बताशे पर डालकर खाने से पेट दर्द की समस्या नष्ट होती है।
- मधुमक्खी ,ततैया एंव बिच्छू के काटने पर उसी जगह थोड़ी अमृतधारा मसलने से दर्द में काफी आराम मिलता हैं।
- खुजली में 5-6 बूंदें अमृतधारा की 10 ग्राम निम तेल में मिलाए तथा इसे खुजली वाले स्थान पर लगाए, इससे खुजली पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी।
- कमजोरी की समस्या में 2 -3 बून्द अमृतधारा को 10 ग्राम देशी गाय के मख्खन व 5 ग्राम शहद में मिलाकर सुबह-शाम नियमित रूप से सेवन करें थोड़े ही दिनों में आपकी कमजोरी दूर हों जाएगी।
- बिवाई या फटी एड़ियों की समस्या में चार-पाँच बूंदें अमृतधारा में 10ग्राम वैसलीन मिलाएं। इसके लगाने से फटी एड़ियाँ तथा होंठ ठीक हो जाते हैं।
- यकृत वृद्धि की समस्या में आपको 5-6 बूंदें अमृतधारा को इससे चौगुने सरसों के तेल में मिलाकर यकृत (लिवर ) पर मालिश करेंइससे यकृत वृद्धि की समस्या दूर हो जाती है ।
अमृतधारा के नुकसान – Amritdhara Side Effects In Hindi
- अमृतधारा को अधिक मात्रा में लेने से दस्त की समस्या हो सकती है ।
- इसके गलत सेवन से कुछ लोगों को चक्कर भी आ सकते हैं।
- सावधानियां – प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।
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अमृतधारा कब नहीं लेनी चाहिए ? Amritdhara Kab Na Le ?
वैसे देखा जाए तो अमृतधारा एक आयुर्वेदिक औषधि है अतः इसके सेवन से कोई बड़ा नुकसान तो नहीं होता है, मगर फिर भी कुछ ऐसी परिस्थियां हैं जिनमें इसके सेवन से बचना चाहिए। जो की इस प्रकार हैं:-
- नवजात शिशु व एक साल तक के छोटे बच्चों को अमृतधारा का सेवन नहीं करवाना चाहिए।
- अमृतधारा को कभी भी आँख, नाक व कान में नहीं डाले। अन्यथा दुष्परिणाम हो सकते हैं।
- किसी भी प्रकार की सर्जरी के बिल्कुल पहले व सर्जरी के तुरंत बाद बिना चिकित्सक से सलाह लिए अमृतधारा का सेवन ना करवाएं।
- इसके अधिक मात्रा में सेवन करने से अमृतधारा का तीखापन आपको हानि पहुँचा सकता है।
- अमृतधारा को हमेशा काँच के डिब्बे में ढक्कन टाइट बन्द करके रखें।