Difference Between A1 and A2 Milk in Hindi ( A1 और A2 दूध में अंतर )
जीव विज्ञान की शोध के अनुसार दूध में 2 प्रकार के प्रोटीन पाए जातें हैं पहला व्हेय (Whey) प्रोटीन और दूसरा केसइन (Casein) । केसइन प्रोटीन भी 4 प्रकार का होता है ।
कैसीन के 12 प्रकार ज्ञात हैं जिनमें A1 और A2 प्रमुख हैं, बीटा केसइन प्रोटीन में 209 एमिनो एसिड कि श्रृंखला होती है, गौर करने वाली बात यह है कि स्वदेशी गाय के दूध में 67वें स्थान पर स्थित एमिनो एसिड “प्रोलीन” पाया जाता है।
जबकि यूरोपीय गाय के दूध में यह 67वें पद पर प्रोलीन एमीनो एसिड के स्थान पर परिवर्तित हो कर “हिस्टाडीन” नामक एमिनो एसिड मिलता हैl इस प्रक्रिया को वैज्ञानिक भाषा में “म्युटेशन” कहते हैं। A1 में यह कड़ी कमजोर होती है , तथा पाचन के समय टूट जाती है और विषाक्त प्रोटीन ‘बीटा कैसोमोर्फीन -7’ बनाती है, यह तत्व अफीम, हीरोइन, ब्राउन सुगर आदि में पाया जाता है।
पहचान के लिए इस अंतर को हम A1 (विदेशी गाय) और A2 (देशी गाय) दूध भी कहते हैं
A1 और A2 के गुण सूत्र
गुण सूत्र जोड़ों में होते हैं, अतः स्वदेशी–विदेशी गोवंश की D.N.A जांच करने पर :-
‘A1, A1’
‘A1, A2’
‘A2, A2’
के रूप में गुण सूत्रों की पहचान होती है। स्पष्ट है कि विदेशी गोवंश ‘A1A1’ गुणसूत्र वाला तथा भारतीय ‘A2, A2’ है।
A1 Milk से होने वाली बीमारियाँ
मथुरा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के सामने दी गई प्रस्तुति में डा. सदाना ने ए1 दूध से होने वाली बीमारियों के बारे में जानकारी दी किः
अधिकांश विदेशी गोवंश (हॅालस्टीन, जर्सी) के दूध में ‘बीटा कैसीन A1’ नामक प्रोटीन पाया जाता है जिससे अनेक असाध्य रोग पैदा होते हैं। पांच रोग होने के स्पष्ट प्रमाण वैज्ञानिकों को मिल चुके हैं –
• इस्चीमिया हार्ट ड़िजीज (रक्तवाहिका नाड़ियों का अवरुद्ध होना)।
• मधुमेह–मिलाईटिस या डायबिट़िज टाईप–1 (पैंक्रियाज का खराब होना जिसमें इन्सूलीन बनना बन्द हो जाता है।)
• आटिज़्म (मानसिक रूप से विकलांग बच्चों का जन्म होना)।
• शिजोफ्रेनिया (स्नायु कोषों का नष्ट होना तथा अन्य मानसिक रोग)।
• सडन इनफैण्ट डैथ सिंड्रोम (SIDs) (बच्चे किसी कारण के बिना अचानक मरने लगते हैं )
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और रोगों के अनुसंधान के आंकड़ो से यह सिद्ध किया गया है, कि BCM-7 युक्त A1 दूध मानव समाज के लिए विषतुल्य है, अनेक असाध्य रोगों का कारण है। भारतवर्ष ही नहीं सारे विश्व में, जन्मोपरान्त बच्चों में जो औटिज्म़ (बोध अक्षमता) और मधुमेह (Diabetes Type 1) जैसे रोग बढ़ रहे हैं, उनका स्पष्ट कारण BCM-7 वाला A1 दूध है।
मानव शरीर के सभी सुरक्षा तंत्र विघटन से उत्पन्न (Metabolic Degenerative) रोग जैसे उच्च रक्तचाप, हृदय रोग तथा मधुमेह का प्रत्यक्ष सम्बन्ध BCM-7 वाले A1 दूध से स्थापित हो चुका है। यही नहीं बुढ़ापे के मानसिक रोग भी बचपन में ग्रहण A1 दूध के प्रभाव के रूप में भी देखे जा रहे हैं।
दुनिया भर में डेयरी उद्योग आज चुपचाप अपने पशुओं की प्रजनन नीतियों में अच्छा दूध अर्थात् BCM-7 मुक्त A2 दूध के उत्पादन के आधार पर बदलाव ला रहा है।
A2 दूध में पाए जाने वाले पोषक तत्व
वैज्ञानिकों के अनुसार देशी गाय के दूध में 8 प्रकार के प्रोटीन, 6 प्रकार के विटामिन, 21 प्रकार के एमिनो एसिड, 11 प्रकार के चर्बीयुक्त एसिड, 25 प्रकार के खनिज तत्त्व, 16 प्रकार के नाइट्रोजन यौगिक, 4 प्रकार के फास्फोरस यौगिक, 2 प्रकार की शर्करा, इसके अलावा मुख्य खनिज सोना, तांबा, लोहा, कैल्शियम, आयोडीन, फ्लोरिन, सिलिकॉन आदि भी पाये जाते हैं।
इन सब तत्त्वों के विद्यमान होने से गाय का दूध एक उत्कृष्ट प्रकार का रसायन है, जो शरीर में पहुँचकर रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा और वीर्य को समुचित मात्रा में बढ़ाता है। यह पित्तशामक, बुद्धिवर्धक और सात्विकता को बढ़ाने वाला है। गाय के दूध से 1 ग्राम भी कोलेस्ट्रोल नहीं बढ़ता।
A2 दूध में पाए जाने वाले पोषक तत्व
Each 100 ml Milk
83 से 87 % पानी
3.5 से 6 % तक वसा (फैट)
4.8 से 5.2 % तक कार्बोहाइड्रेड
3.1 से 3.9 % प्रोटीन होती है। इस प्रकार कुल ठोस पदार्थ 12 से 15 % होता है। लैक्टोज़ 4.7 से 5.1 % है। शेष तत्व अम्ल, एन्जाईम विटामिन आदि 0.6 से 0.7 % तक होते है।
गाय के दूध में पाए गए प्रोटीन में लगभग एक तिहाई ‘बीटा कैसीन’ नामक प्रोटीन है। अलग–अलग प्रकार की गऊओं में अनुवांशिकता (जैनेटिक कोड) के आधार पर ‘कैसीन प्रोटीन’ अलग–अलग प्रकार का होता है , जो दूध की संरचना को प्रभावित करता है, या यूं कहे कि उसमें गुणात्मक परिवर्तन करता है। उपभोक्ता पर उसके अलग–अलग प्रभाव हो सकते हैं।
देशी गाय के दूध के फायदे
बुद्धि वर्धक :- बुद्धिवर्धक खोजों के अनुसार भारतीय गऊओं के दूध में ‘सैरिब्रोसाईट’ नामक तत्व पाया गया है ,जो मस्तिष्क के ‘सैरिब्रम को स्वस्थ–सबल बनाता है। यह स्नायु कोषों को बल देने वाला, बुद्धि वर्धक है।
देशी गाय के दूध से फुर्ती:- जन्म लेने पर देशी गाय का बछड़ा जल्दी ही चलने लगता है जबकि भैंस का पाडा रेंगता है। स्पष्ट है कि गाय एवं उसके दूध में भैंस की अपेक्षा अधिक फुर्ती होती है।
आँखों की ज्योति, कद और बल को बढ़ाने वाला:- भारतीय गौ की आँत 180 फुट लम्बी होती है। देशी गाय के दूध में केरोटीन नामक एक ऐसा उपयोगी एवं बलशाली पदार्थ मिलता है जो भैंस के दूध से कहीं अधिक प्रभावशाली होता है।
बच्चों की लम्बाई और सभी के बल को बढ़ाने के लिए यह अत्यन्त उपयोगी होता है। आँखों की ज्योति को बढ़ाने के लिए यह अत्यन्त उपयोगी है। यह कैंसर रोधक भी है।
असाध्य बिमारियों की समाप्ति:- देशी गाय के दूध में स्टोनटियन नामक ऐसा पदार्थ भी होता है जो विकिर्ण (रेडियेशन) प्रतिरोधक होता है। यह असाध्य बिमारियों को शरीर पर आक्रमण करने से रोकने का कार्य भी करता है। रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है, जिससे रोग का प्रभाव क्षीण हो जाता है।
देशी गाय का दूध ओमेगा 3 से भरपूर:- वैज्ञानिक अनुसंधान के बाद यह सिद्ध हो चुका है कि फैटी एसिड ओमेगा 3 (यह एक ऐसा पौष्टिकतावर्धक तत्व है, जो सभी रोगों की समाप्ति के लिए रामबाण है) केवल गौ माता के दूध में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है। जिससे आपके आहार में ओमेगा 3 से डी. एच. तत्व बढ़ता है।
इसी तत्व से मानव–मस्तिष्क और आँखों की ज्योति बढ़ती है। डी. एच. में दो तत्व ओमेगा 3 और ओमेगा 6 पाए जाते हैं। मस्तिष्क का संतुलन इसी तत्व से बनता है। आज विदेशी वैज्ञानिक इसके कैप्सूल बनाकर दवा के रूप में इसे बेचकर अरबों – खरबों रुपये का व्यापार कर रहे हैं।
माँ के दूध के समान :- प्रो. एन. एन. गोडकेले के अनुसार देशी गाय के दूध में अल्बुमिनाइड, वसा, क्षार, लवण तथा कार्बोहाइड्रेट तो है ही साथ ही समस्त विटामिन भी उपलब्ध हैं। यह भी पाया गया कि देशी गाय के दूध में 8 प्रतिशत प्रोटीन, 0.7 प्रतिशत खनिज व विटामिन ए, बी, डी व ई प्रचुर मात्रा में विद्यमान हैं, जो गर्भवती महिलाओं व बच्चों के लिए अत्यन्त उपयोगी होते हैं।
कोलेस्ट्रोल से मुक्ति:- वैज्ञानिकों के अनुसार कि देशी गाय के दूध से कोलेस्ट्रोल नहीं बढ़ता। हृदय रोगियों के लिए यह बहुत उपयोगी माना गया है। फलस्वरूप मोटापा भी नहीं बढ़ता है। गाय का दूध व्यक्ति को छरहरा (स्लिम) एवं चुस्त भी रखता है।
• इन्टरनेशनल कार्डियोलॅाजी के अध्यक्ष डा. शान्तिलाल शाह ने कहा है कि भैंस के दूध में लाँगचेन फेट होता है , जो नसों में जम जाता है। फलस्वरूप हार्टअटैक की सम्भावना अधिक हो जाती ही। इसलिए हृदय रोगियों के लिए गाय का दूध ही सर्वोत्तम है। भैंस के दूध के ग्लोब्यूल्ज़ भी आकार में अधिक बड़े होते हैं तथा स्नायु कोषों के लिए हानिकारक हैं।
• हाल ही में ताइवान में हुए एक शोध में माना गया है कि देशी गाय के दूध के नियमित सेवन से पेट के कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोका जा सकता है।
• शोधकर्ताओं ने देशी गाय के दूध में मौजूद लैक्टोफेरिसिन बी25 (लेफसिन बी25) की खोज की है जो गैस्ट्रिक कैंसर की कोशिकाओं को रोकने में मदद करती हैं।
• इतना ही नहीं, देशी गाय के दूध में मौजूद यह तत्व शरीर में कैंसर या ट्यूमर बढ़ाने के लिए जिम्मेदार प्रोटीन बेसलिन 1 को रोकने में भी काफी अहम हो सकता है।