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आज हम आपको इस लेख के माध्यम से उन शारीरिक अंगों ( Body Cleansing Organs in Hindi ) के बारे में बताएंगे जो हमारे शरीर के अंदर की गंदगी को बाहर निकाल हमें स्वस्थ बनाते हैं। इस लेख में हम आपको जानकारी देंगे की ये अंग किस प्रकार से Toxins बाहर निकालते हैं।
स्वस्थ रहने के लिए महत्वपूर्ण बिन्दु – Important Points for Healthy Body in Hindi
यदि आप स्वस्थ रहना चाहते हैं तो ये तीन बातें हैं जिनका पालन करना बहुत ही आवश्यक है।
- आपके मन का ठीक रहना।
- शुद्ध एंव पौष्टिक भोजन करना।
- शरीर के अंदर जमे मल का अच्छे से निष्कासन होना।
आपके मन का ठीक रहना
आपके अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है की आप हमेशा प्रसन्नचित्त रहें, चिंता एंव परेशानी को अपने पास भी ना आने दें। क्योंकि चिंता से आपको हानि ही हानि होने वाली है। इसलिए कभी आप किसी कठिनाई में पड़ जाएं तो धीरज कभी ना छोड़े, मन को निराश न होने दें। क्योंकि क्रोध और ईर्ष्या-द्वेष भावना आपके स्वास्थ्य के लिए जहर के समान हैं।
हम आपको ऐसा इसलिए बता रहे हैं क्योंकि इन मनोविकारों का आपकी अंत:स्रावी ग्रंथियों से निकलने वाले रसों पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अगर ये ग्रन्थियां ठीक से कार्य नहीं करेंगी तो आपके शरीर का बुनियादी पोषण अच्छे से नहीं हो पाएगा।
अगर ये दूषित रस आपके शरीर में बनता है तो यह आपके शरीर के लिए विष के समान कार्य करेगा। और विष का आपको पता ही है की ये कैसे कार्य करता है।
शुद्ध एंव पौष्टिक भोजन करना
यदि आपको स्वस्थ रहना है तो आपको दैनिक जीवन में साफ-स्वच्छ एंव पौष्टिक भोजन करना होगा और वो भी सही समय पर। इसके लिए आपको दिनचर्या के बारे में सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए। दिनचर्या का पालन करते हुए आप लंबे समय तक स्वस्थ बने रह सकते हैं। भोजन में आपको ज्यादा से ज्यादा फल एंव सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
शरीर के अंदर जमे मल का अच्छे से निष्कासन होना
अगर आपको लंबे समय तक स्वस्थ रहना है, तो शरीर के भीतर पैदा होने वाले मल एंव विजातीय द्रव्यों को बाहर निकालना आवश्यक है।
शरीर की सफाई रखने वाले अंगों ( Body Cleansing Organs in Hindi ) के बारे में तो आप जानते हैं कि शरीर की शुद्धि या सफाई का काम करने वाले चार मुख्य अंग हैं – फेफड़े, त्वचा, गुर्दे तथा बड़ी आंत।
यदि ये अंग हमारे शरीर से विजातीय द्रव्यों को बाहर नहीं निकालते हैं, तो इसका अंजाम बहुत बुरा हो सकता है।
इसलिए आपको बाहरी शरीर की देखभाल के साथ अपने आंतरिक अंगों की भी देखरेख अच्छे से करनी चाहिए। इसलिए आगे इस लेख में हम आपको बताएंगे की इन चारों अंगों की देखरेख कैसे की जा सकती है ताकि आपकी तंदुरुस्ती सदा चमकती रहे।
फेफड़े शरीर को कैसे साफ करते हैं? Lungs Body ko kaise saaf krte hai?
- ज्यादातर लोग अपने इस अंग का सही तरीके से उपयोग नहीं करते हैं।आजकल लोग हल्की सांस लेते हैं जो की उनके शरीर की शुद्धि के लिए पर्याप्त नहीं है। जब आप छोटे थे तो खेल-कूद जैसी शारीरिक क्रियाओं से हमें मजबूरन गहरी सांस लेनी पड़ती थी। मगर किशोरावस्था के बाद लोग खेल कूद कम कर देते हैं जिससे की शरीर में oxygen की कमी हो जाती है।
- यदि आप शारीरिक श्रम वाले कार्य करते हैं तो आपको गहरी सांस लेने की जरूरत नहीं होती है, क्योंकि उस कार्य के दौरान आप प्राकृतिक रूप से लंबी सांस ले पाते हैं।
- यदि आप गहरी सांस नहीं लेते हैं तो यह आपके खून को साफ रखने के लिए पर्याप्त नहीं है।
- इसके साथ ही आप एक और गलती करते हैं वो है, गंदी हवा में सांस लेना। साफ हवा ना मिलने से आपकी सेहत बिगड़ सकती है।
- इसलिए आपको फेफड़ों की देखभाल करते हुए बुढ़ापे में भी चलने- फिरने या शारीरिक श्रम की आदत डालनी चाहिए। ऐसे में आपको खुले में गहरी सांस लेनी चाहिए। इसकी विधि यह है कि खुली हवा में खड़े होकर कंधों को थोड़ा पीछे ले जाएं तथा धीरे-धीरे गहरी सांस अंदर खींचें तथा बाहर निकालें। पूरे दिन में लगभग 40-50 बार ऐसा करना चाहिए।
- प्राणायाम, सूर्य-नमस्कार तथा अन्य आसनों का भी अच्छे से अभ्यास करना चाहिए जिससे की आपके फेफड़े स्वस्थ बने रहें। तेजी से चहलकदमी करना बुढ़ापे में सबसे अच्छी कसरत होती है।
- रोगी और निरोगी दोनों ही स्तिथियों में आपको स्वच्छ व ताजी हवा में घूमना चाहिए तथा गहरी सांस लेनी चाहिए। क्योंकि स्वच्छ हवा निरोगी को स्वस्थ बनाये रखने में सहायक होती है और रोगी को शीघ्र आरोग्य प्राप्त कराने में सहायक होती है।
- दुनिया में कोई ऐसा रोग नहीं जिसमें ताजी हवा नुकसान करे, इसलिए तंदुरुस्ती या बीमारी दोनों हालतों में आपको खुले हवादार स्थान में घूमना चाहिए।
- सोते समय खिड़कियां-दरवाजे बंद करके सोना आपकी सेहत के लिए काफी हानिकारक होता है। इसलिए ऐसा कदापि ना करें।
- इस बात को हमेशा याद रखिए कि रक्त में वायु के ऑक्सीजन तत्त्व की भरपूर मात्रा रहना पहले तो रोग को आने से रोकता है और हो जाने पर उसे जल्दी से सही करने में भी मदद करता है।
त्वचा शरीर की सफाई कैसे करती है? Skin body ko kaise saaf krti hai?
- शरीर की सफाई करने वाले अंगों ( Body Cleansing Organs in Hindi ) में, महत्व की दृष्टि से देखा जाए तो त्वचा का दूसरा स्थान है। अगर यह क्रिया शरीर में रुक जाए तो समझो शरीर मृत ही है।
- त्वचा के अधिक गहराई तक जल जाने से भी व्यक्ति की जल्दी ही मृत्यु हो जाती है। आपके शरीर से हर समय पसीना निकलता रहता है, चाहे वह गरम हो या ठंडा। वह इस प्रकार भी निकलता है कि हमें उसका पता भी न लगे।
- पसीने के रूप में हम त्वचा द्वारा शरीर का विष बाहर निकालते रहते हैं। उसका काम ठीक तरह से होते रहने के लिए जरूरी है कि हम उसे अच्छी हालत में रखें।
- त्वचा को आप खुरदरे तौलिये से व अपनी हथेली से रगड़कर उसकी अच्छी कसरत करा सकते हैं। ऐसा आप नियमित स्नान के द्वारा उसे साफ रख सकते हैं।
- स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाए तो त्वचा का रगड़ा जाना स्नान से अधिक आवश्यक है, दिन भर में पांच मिनट तक त्वचा को रगड़ना काफी होता है।
- धूप -स्नान और वायु-स्नान के द्वारा आप त्वचा को स्वस्थ बना सकते हैं। धूप-स्नान के लिए त्वचा को धूप में खोलकर इतनी देर बैठना या लेटना होता है जब तक कि धूप और बाहर का तापमान आप सहन कर सकें।
- सुबह का समय वायु स्नान के लिए अधिक अच्छा होता है। वायु- स्नान में आपको अपने कमरे में या किसी एकांत खुली जगह में जितना समय निकाल सके नंगे बदन बैठना अच्छा होता है।
गुर्दे शरीर को कैसे स्वस्थ्य रखते हैं? Kidneys body ko clean kaise karti hain?
तीसरा स्थान आता है, गुर्दो का। यदि इनका दुरुपयोग ना किया जाय तो वे अपनी देखभाल खुद कर लेते हैं। मगर इनमे खराबी तभी आती है जब इन्हें गलत तरीके से काम लिया जाता है।
यहाँ पर हम आपको कुछ आसान बातें बता रहें हैं जिनका ध्यान रखने से आप गुर्दे हमेशा के लिए स्वस्थ बनाए रख सकते हैं-
- प्रतिदिन पर्याप्त पानी पियें।
- फल एंव सब्जियों का ताजा रस पीयें, जिससे की पेशाब खुलकर आये आपके गुर्दे साफ हो जायें।
- चाय तथा काफी का अधिक सेवन ना करें।
- शराब और सोडा के अधिक सेवन से बचे।
- गुर्दे को हमेशा स्वस्थ रखने का एक अच्छा सामान्य नियम है कि प्यास लगने पर पानी अवश्य पियें।
बड़ी आंत शरीर को साफ कैसे रखती है ? Large Intestine body ko clean kaise karti hai ?
बड़ी आंत की लंबाई लगभग 6 फुट लंबी होती है और आहार नाल का अंतिम भाग होता है। इसे बड़ी आंत इसलिए कहते हैं क्योंकि इसका छोटी आंत की तुलना में मोटाई या फैलाव बहुत अधिक होता है, यद्यपि लंबाई में छोटी आंत इससे लंबी होती है।
बड़ी आंत का काम पाचन के बाद बचे मल को और उस जहरीले माद्दे को भी, जो रक्त से निकल कर वहां पहुंचता है, उन्हे बाहर निकालना होता है।
बड़ी आंत में रहने वाला मल जहरीला होता है इसलिए उसे 24 घंटे से अधिक शरीर के अंदर नहीं रोकना चाहिए। अगर आप इसे रोकते हो तो यह और सड़ेगा तथा अधिक जहरीली गैसें निकलने लगेंगी, जो रक्त में मिल कर अन्य बड़े रोगों का कारण बनेगा।
पाचन एंव शरीर के पोषण के बाद भोजन का अवशेष बड़ी आंत में पहुंचता है। उसके वहां पहुंचने के बाद इन बातों पर जरूर ध्यान दें।
बड़ी आंत को साफ रखने के लिए सबसे जरूरी बातें-
- मलत्याग की जरा सी भी इच्छा होने पर शौच जाने में देर बिल्कुल भी ना करें। स्वस्थ मनुष्य को, मलाशय में मल पहुंचने पर इसकी सूचना तुरंत मिल जाती है, और उसे मलत्याग की इच्छा होती है। ऐसा होने से उसे तुरंत फारिग हो जाना चाहिए।
- मलत्याग की इच्छा होने पर अगर आप शौच नहीं नजते हैं तो इसका नतीजा यह होता है कि इस सूचना की ध्वनि धीमी हो जाती है और कुछ दिन में सूचना मिलनी बंद सी हो जाती है। बस, यहीं कब्ज के बीज बोये जाते हैं। और व्यक्ति धीरे-धीरे कब्ज का शिकार हो जाता है।
- अगर आप कजब की समस्या से बचना चाहते हैं,तो रोजाना कसरत कीजिए या लंबी साँसे लीजिए। उथली या अधूरी सांस लेना और बैठकर किये जाने वाले काम में लगे रहना, चलने-फिरने की आदत न रखना कब्ज का दूसरा बड़ा कारण है।
- रोजाना पर्याप्त पानी पीजिए क्योंकि कम पानी पीने से मल बहुत कड़ा हो जाता है। पानी की प्यास होने पर उसे अनदेखा करना कब्ज का एक अन्य कारण है।
- मैदा या बहुत बारीक आटा, सफेद चीनी, दूध, मांस का अधिक मात्रा में इस्तेमाल भी कब्ज का एक बड़ा कारण है। इसके अलावा जो खाना ठीक तौर से पचता नहीं है, उसमें खमीर पैदा होकर बहुत ज्यादा गैस पैदा होने लगती है। इससे आंतों में तनाव और फैलाव बढ़ जाता है और वह क्रिया ठीक तौर से नहीं हो सकती जिससे मल क्रमशः आगे की ओर ढकेला जाता है। यह भी कब्ज का मुख्य कारण होता है।
- प्रतिदिन शौच जाने का समय बांध लीजिए – उस वक्त जाइए जरूर, चाहे शौच हो या न हो। शौच के लिए सुबह उठते ही और शाम को भोजन से पूर्व का समय बांधा जा सकता है। इससे पेट ठीक साफ होता है और समय में भी गड़बड़ी कम हो पाती है।
- रात को सोने के पहले शौच जाने की आदत होने से भी नींद अच्छी आती है। आप जो भी वक्त चाहें निश्चित करें, पर आतों को रोज कम-से-कम दो बार सफाई का मौका जरूर दें। नियत समय पर शौच जाकर हम बड़ी आंत के पुट्ठों को नियत समय पर काम करने की शिक्षा दे सकते हैं।
आप इन नियमों का पालन करें तो सभ्य जीवन की इस भयानक व्याधि से बचे रहने की पूरी आशा रख सकते हैं।
निस्संदेह कब्ज सभ्य समाज की एक बड़ी मुसीबत है। अगर यह बिना बुलाया मेहमान हमारे शरीर में जमकर
बैठ गया हो तो इसे कैसे विदा करें?
कब्ज से कष्ट पाने वाले व्यक्तियों को सबसे अच्छी सलाह यह है कि वे क्षत रेचक दवाइयों से दूर रहें। उनसे थोड़ी देर के लिए आंतों की सफाई हो जाती है, पर रोग की जड़ नहीं कटती।
वह तो कटेगी ऊपर बताये ढंग से जीवन का क्रम अभ्यास बदलने से। पानी पीने, गहरी सांस लेने, इतना शारीरिक श्रम या व्यायाम करने से कि खून तेजी से देह में दौड़ने लगे।
युक्त आहार के नियम का अनुसरण करने, शौच मालूम होने पर तुरंत जाने, उसका समय बांधने और इस साधना में धैर्य के साथ लगे रहने से सभ्यता के इस अभिशाप से मुक्ति मिल सकती है, पर अगर कब्ज आपकी प्रकृति को पूरी तरह पछाड़ चुका है तो सबसे अच्छा उपाय आपके लिए यही है कि अपने जीवन की लगाम कुछ दिनों के लिए किसी ऐसे आदमी के हाथ में दें जो उसे प्रकृति के पथ पर चलाने की कला जानता हो।