देशी गाय के बारे में वैदिक मान्यता
चौकाने वाली बात तो ये है कि देशी गाय के दूध में सोने के तत्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर के लिए काफी शक्तिदायक और आसानी से पचने वाला होता है। देशी गाय की गर्दन के पास एक कूबड़ होता है जो ऊपर की ओर उठी और शिवलिंग के आकार जैसा होता है।
देशी गाय के इसी कूबड़ के कारण उसका दूध फायदेमंद होता है। इसका कारण ये है कि इस कूबड़ में एक सूर्यकेतु नाड़ी होती है। और यही सूर्य की किरणों से निकलने वाली ऊर्जा को सोखती रहती है, जिससे गाय के शरीर में स्वर्ण तत्व उत्पन्न होते रहते हैं। जो सीधे गाय के दूध और मूत्र में मिलता है।
इसलिए देशी गाय का दूध भी हल्का पीले रंग का होता है। ये सोने के तत्व हमारे शरीर को मजबूत बनाता है, आंतों की रक्षा करता है और दिमाग भी तेज करता है। इसलिए देशी गाय का दूध सर्वोत्तम माना जाता है।
डेरी उद्योग कि मान्यता
हमारे देश में ये बात डेरी उद्योग के गले आसानी से नही उतर रहा है, हमारा समस्त डेरी उद्योग तो हर प्रकार के दूध को एक जैसा ही समझता आया है । उन के लिए देशी गाय के ए2 दूध और विदेशी ए1 दूध देने वाली गाय के दूध में कोई अंतर नही होता था।
गाय और भैंस के दूध में भी कोई अंतर नहीं माना जाता । सारा ध्यान अधिक मात्रा में दूध और वसा देने वाले पशु पर ही होता है । किस दूध मे क्या स्वास्थ्य नाशक तत्व हैं, इस विषय पर डेरी उद्योग कभी सचेत नहीं रहा है। सरकार की स्वास्थ्य सम्बंधित नीतियां भी इस विषय पर केंद्रित नहीं हैं।
वेदों के अनुसार देशी गाय के दूध के 20 चमत्कारी फायदे
1. प्रवरं जीवनीयानां क्षीरमुक्त्तं रसायनम् ।।
अर्थात – सुश्रुत ने भी गौदूग्ध को जीवनीय कहा है । गौदूग्ध जीवन के लिए उपयोगी ।
यह बीमारियों का नाश करने वाला रसायन है, रोग और वृद्धावस्था को नष्ट करने वाला , लंबी बीमारी वालों के लिए लाभकारी, शरीर को शक्तिशाली बनाने वाला , बुद्धि को तेज करने वाला, थकावट मिटाने, एंवम आलस्य को दूर करने वाला है ।
इसीलिए दूध आयु को स्थिर रखता है, और हमारी उम्र को बढ़ाता है ।
2. देशी गाय के दूध में कार्बोहाइड्रेट का स्त्रोत लैक्टोज है, जो विषेशत: नवजात शिशुओ को ऊर्जा प्रदान करता है, मानव एंव गाय के दूध में इसकी मात्रा क्रमश: 7% तथा 4.8% होती है ।
3. देशी गाय का दूध अमृत के समान होता है । क्योंकि इसमें 85.1% जल तथा 14.1 % घनपदार्थ है । तथा A, D, E और B विटामिन्स पाए जाते हैं।
4. दूध में पाए जाने वाले तत्वों की खास विशेषता यह है, कि ये हमारे भोजन के अन्य पदार्थ जैसे कि आटा, चावल, फल-सब्जियां, आदि के दोष को नष्ट करने में, एंवम इन पदार्थों की गुणवत्ता बढ़ाने में, तथा इन्हें सुपाच्य बनाने में सहायता करता है ।
5. देशी गाय के दूध में कम से कम 50 पदार्थ सवा सौ– डेढ सौ रूपों में रहते है । इतना सर्वगुण सम्पन्न और सब प्रकार से परिपूर्ण पौष्टिक और साथ ही बुद्धि को सकारात्मक बनाने वाला बहुत सस्ता आहार है ।
6. सभी दूध दही में एक ही प्रकार के उत्तम गुण नहीं होते । इसलिए जो भी दूध– दही मिले उसे पीना ठीक नहीं है । दूध –दही, उनके बर्तनों की वातावरण आदि की सफाई का विषेश ध्यान रखना आवश्यक है ।
दूध– दही छाछ में जो जीवाणु मूल्य होते वह विशेष रूप से लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया ,तथा बेसलिस बल्गेरिक्स जाति के है । उनमें हमारे जीवन कि रक्षा करने वाले तत्व होते हैं और दूसरे प्रकार के अणुजीवों के प्रवेश से दही खट्टा हो जाता है, तथा गंध, रंग, स्वाद में विकार उत्पन्न हो जाता है ।
7. गौदुग्ध शरीर में उत्पन्न होने वाले जहर का नाश करता है। एलौपैथिक दवाईया, फर्टीलाईजर, रासायनिक खाद, कीटनाशक दवाईयाँ आदि से वायु जल एंव अन्न के द्वारा शरीर में उत्पन्न होने वाले जहर को समाप्त करने की क्षमता केवल देशी गाय के दूध में ही है।
8. देशी गाय के दूध से बनने वाले व्यंजन पौष्टिक स्वादिष्ट, बलवर्धक, वीर्यवर्धक एंव शरीर का तेज बढाने वाले होते है।
9. दूध जैसा पौष्टिक और अत्यन्त गुण वाला ऐसा अन्य कोई पदार्थ नहीं है । दूध जो मृत्युलोक का अमृत है । सभी दूधों में अपनी माँ का दूध श्रेष्ठ है और माँ का दूध कम पड़ा तो वहाँ से देशी गाय का दूध बच्चों के लिए अमृत सिद्ध हुआ है ।
10. देशी गाय का दूध मृत्युलोक का अमृत है और मनुष्यों के लिए शक्तिवर्धक, रोगप्रतिरोधक, रोगनाशक तथा गौदुग्ध जैसा दिव्य पदार्थ त्रिलोक में भी अजन्मा है ।
11. लंबी बुखार और मानसिक रोग में भी देशी गाय का दूध बहुत उपयोगी है ।
12. गौदुग्ध वात पित्तनाशक है, और दमा, कफ, स्वास, खाँसी, प्यास, भूख आदि मिटाने वाला होता है ।
13. देशी गाय का दूध मूत्र से संबंधित बीमारियों तथा शराब के सेवन से होने वाले रोगों के लिए भी अत्यंत लाभकारी होता है । गौदुग्ध जीवन उपयोगी पदार्थ अत्यंत श्रेष्ठ रसायन है, जो कि बहुत पौष्टिक होता है ।
14. जो व्यक्ति गाय का दूध प्रतिदिन सेवन करता है उसे बुढापा जल्दी से नहीं आता है, और बुढ़ापे में होने वाली आम समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है।
15. यदि किसी को भोजन के पहले छाती में दर्द होता है तो भोजन करने के बाद गाय के दूध का सेवन करने से दर्द शान्त हो जाता है।
16. वे व्यक्ति जो अत्यन्त तीखा, खट्टा, कड़वा, खारा, एंवम शरीर में गर्मी करने वाला और विपरीत गुणों वाले भोजन खाते हैं उनको सा़ंयकाल में भोजन के बाद देशी गाय के दूध का सेवन करना चाहिए, जिससे हानिकारक भोजन से होने वाली समस्याओं का दुष्प्रभाव समाप्त हो जाये।
17. गाय का दूध सेवन करने के तुरन्त बाद वीर्यशिक्त उत्पन्न होती है, जबकि वैसे वीर्यशिक्त उत्पन्न होने में अनुमानत: एक माह का समय लगता है। माँस, अण्डे एंड अन्य बासी पदार्थों के सेवन से वीर्यवर्धक का नाश होता है,
जबकि गौदुग्ध से वृद्धि होती है , तथा लम्बी बीमारी से पीड़ित लोगों को नया जीवन प्रदान करता है।
18. उपनिषद्, महाभारत, चरकसंहिता, अष्टांगहृदय, भावप्रकाश, निघंटु, आर्यभिषेक, आदि ग्रंथों में तथा विज्ञान और साहित्य में देशी गाय के दूध की महिमा गाई गई है ।
19. गाय तो भगवान की भगवान है, भूलोक पर गाय सर्वश्रेष्ठ प्राणी है।
20. देशी गाय की पाचनशक्ति श्रेष्ठ है । यदि गाय कोई जहरीला पदार्थ खा लेती है तो उसे आसानी से पचा लेती है, फिर भी उसके दूध में जहर का कोई असर नहीं होता है ।
और डॉ. पीपल्स ने गौदुग्ध पर किये गये परीक्षणो में यह भी पाया कि यदि देशी गाय कोई विषैला पदार्थ खा जाती है तो भी उसका प्रभाव उसके दूध में नहीं आता । उसके शरीर में सामान्य विषों को पचाने की अदभूत शक्ति है ।
गो गव्य ही सर्वोत्तम आहार हैं
भारतीय शास्त्रों में जहाँ भी दूध, दही, छाछ, मक्खन, घृत आदि उल्लेख किया गया है वो केवल गाय के गव्य ही हैं, क्योंकि उस समय भैंस, जर्सी, हॉलिस्टीयन जैसे पशुओं का व्यवहार कहीं भी शास्त्रों में आया ही नहीं है।
वर्तमान में देशी गाय का जो त्याग और तिरस्कार है वो मुख्यरूप से दूध की मात्रा को लेकर किया जा रहा है, वजह केवल व्यापार।
\बेचने वाला तो रुपये कमाने के लिये ऐसा कर रहा है, पर खरीददार दूध के प्रति शिक्षित नहीं होने के कारण शुद्ध गाय के दूध की माँग नहीं कर रहे हैं।
लगातार अनदेखी से हमारे देश में गायों की नस्ल में भारी गिरावट आई है, जिससे वे कम दूध दे रही है।
अकबर ने एक बार बीरबल को पूछा कि सबसे अच्छा दूध किसका होता है। हाजिर जवाब बीरबल ने तपाक से उत्तर दिया भैंस का। अकबर को बीरबल से यह उम्मीद कतई नहीं थी।
वो उसे हिन्दूवादी और गाय का प्रबल पक्षधर समझता था, इसलिये बीरबल के इस उत्तर से वह आश्चर्यचकित था। अकबर यह अच्छी तरह जानता था कि बीरबल कभी गलत उत्तर नहीं दे सकता, पर आज ऐसा कैसे हुआ?
अकबर ने अगला प्रश्न किया कि– कैसे और क्यों?
बीरबल ने उत्तर दिया –जहाँपनाह, दूध तो केवल दो ही जानवर देते हैं। एक भैंस और दूसरी बकरी। इनमें भैंस का ठीक है।
महाराज देशी गाय दूध नहीं, साक्षात् अमृत देती है। मैं उसे दूध की श्रेणी में नहीं गिना सकता।
अतः मित्रों, मात्रा नहीं दूध की गुणवत्ता देखें। सफेद जहर से बचें।