हरी पत्तेदार सब्जियां
हरी पत्तियों वाली सब्जियां स्वास्थ्य का अनमोल खजाना हैं, इनके नियमित सेवन से प्राणी सदा निरोगी तथा शतायु होता है।पालक, मेथी, बथुआ, चौलाई , पत्तागोभी, चना और सरसों आदि।सब्जियों में प्रकृति ने नाना प्रकार केमूल पोषक तत्त्वों का समन्वय किया है –
पालक
- पत्तियों वाली सब्जियों में पालक सबसे ज्यादा उपयोगी तथा प्रचलित है। पालक में चूना, सोडियम, क्लोरिन, फास्फोरस, लोहा, विटामिन ए. बी. सी. ई., प्रोटीन आदि तत्त्व पाये जाते हैं।
- पालक रक्त विकार में गुणकारी है। रक्त की कमी को दूर करने में सहायक है।
- पालक कच्चा खाने से पायरिया रोग में लाभ होता है।
- कच्चे पालक का रस प्रातः पीने से कब्ज कुछ दिनों में ठीक हो जाती है।
- पालक के रस में शहद मिलाने से पथरी की अचूक औषधी बन जाती है।
- गला बैठने पर पालक के पत्तों का रस निकालकर गरारे करने से बैठा हुआ गला खुल जाता है।
- इसका रस शीतल प्रभाव रखने के कारण सभी प्रकार के ज्वर, फेफड़ों और आंतों की सूजन में लाभप्रद सिद्ध होता है।
- बच्चों को पालक की सब्जी नियमित खिलाने से उनके शरीर की हड्डियों का विकास होता है।
- पालक में बीटा केरोटिन नामक विटामिन पाया जाता है जो आंखों की रोशनी में वृद्धि करता है।
- इसके सेवन से बाल भी काले हो जाते हैं, क्योंकि इसमें कैल्शियम और लोहा प्रचुर मात्रा में है।
- जो महिलाएं शिशु को स्तनपान कराती है, उन्हें सुबह शाम के भोजन में 300 ग्रा. पालक सब्जी या सलाद के रूप में सेवन करना चाहिए।
- मधुमेह के रागियों के लिए तो यह पालक उत्तम भोजन है।
- इसकी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट भी पाया जाता है, जो शरीर को मोटा नहीं होने देता।
- इसके सेवन से गर्भवती महिलाओं में फोलिक एसिड की कमी भी दूर होती है।
- पालक का सूप पाचन शक्ति को बढ़ाता है। पेट की गैस, जलन, कब्जियत को दूर करता है।
- इसके सूप में आयरन व कैल्शियम होता है, जो शरीर में खून की मात्रा बढ़ाता है।
- इससे लिवर के रोगों में भी लाभ होता है और आंतों की सफाई होती है।
मेथी
- मेथी की पत्तियों तथा मेथीदाने में प्रोटीन, वसा, खनिज, विटामिन, थायमिन और टिवोप लेबिन जैसे स्वास्थ्यवर्द्धक तत्त्व भरपूर मात्रा में होते हैं।
- मेथी की सब्जी मुख्य रूप से उदर सम्बन्धी रोगों – एसिडिटी, अपच, कब्ज, गैस, दस्त, पेट दर्द आदि में बहुत ही गुणकारी सिद्ध होती है।
- मेथी प्लेटलेट्स के एकत्रीकरण को रोकता है, जिसके कारण असामान्य रूप से रक्त के थक्के नहीं जमते और हृदयाघात का खतरा घट जाता है
- शुष्क और गर्म प्रकृति के होने के कारण मेथी वायु, वात एवं गठिया रोग में विशेष उपयोगी है।
- मेथी के पत्तों की पुल्टिस बांधने से चोट की सूजन मिटती है।
- इनका प्रतिदिन सब्जी के रूप में सेवन करने से वायु, कफ, बवासीर में लाभ होता है। 100 मिलीलीटर रस प्रतिदिन पीने से मधुमेह रोग में भी बहुत फायदा होता है।
बथुआ
- बथुआ कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है। यह स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसमें आयरन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
- कच्चे बथुए के एक कप रस में थोड़ा सा नमक मिलाकर प्रतिदिन लेने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
- गुर्दा, मूत्राशय और पेशाब के रोगों में बथुए का रस पीने से काफी लाभ मिलता है।
- बथुए को उबालकर इसके रस में नींबू, नमक और जीरा मिलाकर पीने से पेशाब में जलन और दर्द नहीं होता।
- सफेद दाग, दाद, खुजली फोड़े और चर्म रोगों में प्रतिदिन उबालकर इसका रस पीना चाहिए।
- इसका रस मलेरिया, बुखार और संक्रमण रोगों में भी फायदेमंद होता है।
- कब्ज के रोगियों को तो इसका नियमित रूप से सेवन करना चाहिए। जिसका कब्ज किसी औषधि से न जाता हो वह एक पाव बथुए का रस निकालकर तीन दिन तक सायं चार बजे पी ले तो चमत्कारिक लाभ होगा
- कुछ हफ्तों तक नियमित रूप से खाने से कब्ज की समस्या समाप्त हो जाती है।
- बथुए का साग बनाकर मिर्च मसाले रहित प्रयोग करने से दो सप्ताह में पेचिश, प्लीहा के रोगी को अवश्य लाभ होगा।
- बथुए का पानी लिवर में भी फायदा पहुंचाता है।
- इसके नियमित सेवन से बवासीर दूर होने में भी मदद मिलती है।
- इसके जूस में थोड़ा नमक मिलाकर बच्चों को देने से पेट के कीड़े भी समाप्त हो जाते हैं।
- बथुए की पत्तियों को उबालकर उस पानी से बाल धोएं, जुएं मर जायेंगे।
- बथुए के नियमित सेवन से किडनी की समस्याएं ठीक होती हैं। पथरी नहीं बनती तथा पेशाब खुलकर आता है।
- उदर में कृमि होने पर बथुए का साग खाने से कृमि नष्ट हो जाती हैं एवं पाचन क्रिया सुचारू हो जाती है।
- दो तीन माह एक कप ताजा जूस पीने से जोड़ों के दर्द में भी आराम मिलता है।
चौलाई
- चौलाई मधुर, शीतल, रुचिकर, अग्नि प्रदीपक होती है।
- इसमें विपुल मात्रा में लौहतत्त्व उपस्थित रहते हैं।
- चौलाई की पत्तियां हरे रंग व हल्के लाल रंग की होती है।
- कब्ज में चौलाई का साग खाने से दस्त साफ एवं खुलकर आता है।
- यदि मूत्राशय में पथरी के कारण दर्द हो, तो 15 मिली चौलाई का रस दिन में दो–तीन बार लेने से दर्द रूक जाता है तथा पथरी के भी गलकर बाहर आने की संभावना रहती है।
- चौलाई का रस दस ग्राम, रसौत एक ग्राम और शहद दस ग्राम मिलाकर पीने से प्रदर रोगों में एक सप्ताह में लाभ होगा।
पत्तागोभी
- पत्तागोभी में अनेक औषधीय गुण होने के कारण इसका प्रचलन भी सब्जियों में विशेष रूप से होता है।
- इसके प्रयोग से जोड़ों की पीड़ा, मस्तिष्क निर्बलता, दंत रोग, रक्त विकार, अजीर्ण, आंखों की निर्बलता में फायदा होता है।
- पत्तागोभी में विटामिन सी की मात्रा अधिक होने के कारण इसका अधिक महत्व है।
- पत्तागोभी के पत्तों में लौह तत्त्व की मात्रा भी अधिक होती है। लौह तत्त्व शरीर में तुरन्त अवशोषित होकर घुल मिल जाता है।
- इसमें एक ऐसा रसायन है, जिसमें स्तन कैंसर पैदा करने वाले एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा घटाने की क्षमता होती है।
- पत्तागोभी में सेल्युलोस नामक तत्त्व होता है, जो मानव को स्वस्थ रखने में सहायक है। यह तत्त्व शरीर से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को दूर करता है।
- मधुमेह के रोगियों के लिए विशेष लाभकारी माना जाता है। यह खांसी, पित्त, रक्त विकार व कुष्ठ रोग में भी लाभकारी है।
- इसका सेवन शरीर को जल्दी बूढ़ा नहीं होने देता। पेट व आंत का अल्सर, उदर वायु, अमाशय या यकृत के रोगियों के लिए पत्तागोभी का सेवन वरदान सिद्ध होता है।
धनिया
- हरे धनिये को बारीक काटकर दाल एवं अन्य सब्जियों में डालने से भोज्य पदार्थ सुगंधित एवं रुचिकर बनते हैं।
- चटनी बनाकर भी इसका उपयोग किया जाता है परन्तु इसका रस पीने से विशेष लाभ होता है।
- हरे धनिये में प्रजीवक ‘ए‘ पेट व आंखों के लिए विशेष लाभदायक है।
- धनिये की चटनी मस्तिष्क के लिए शक्ति प्रदान करती है।
पुदीना
- पुदीने में विटामिन ए., बी., सी., डी. और ई. के अतिरिक्त लोहा, फास्फोरस और कैल्शियम भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
- गर्मी में पुदीने का प्रयोग बहुत ही हितकारी होता है। पुदीने को बारीक पीसकर इसकी चटनी का सेवन करने से अपच, अजीर्ण, अरुचि तथा मंदाग्नि आदि रोगों में फायदा होता है।
- वमन में पुदीना, नींबू के रस के साथ लेना चाहिए।हैजे में प्याज, नींबू तथा पुदीना का रस मिलाकर देने से लाभ होता है।
- उल्टी, दस्त, हैजा हो तो आधा कप पुदीना का रस हर दो घण्टे में पिलाने से आराम मिलता है।
- ताजे दही के साथ रायता बनाने की बात हो या चटनी इसकी खुशबू जरूर अपनी ओर खींच लायेगी।
- ताजा या सूखा, दोनों तरह के पुदीने से बहुत तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं।
- इनमें कैरी पानी, गर्म य ठण्डा सूप, चटनी, सलाद, जूस आदि मुख्य हैं।
- सलाद का स्वाद बढ़ाने के लिए भी पुदीने का इस्तेमाल किया जाता है।
- मासिक धर्म न आने पर या कम होने पर पुदीना के काढ़े में गुड़ एवं चुटकीभर हींग डालकर पीने से लाभ होता है।
- इससे कमर की पीड़ा में भी आराम होता है।
- पुदीने के रस में नींबू का रस मिलाकर लगाने से दाद मिट जाता है।
- पुदीना एवं तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर सुबह शाम लेने से अथवा पुदीना एवं अदरक का रस 1-1 चम्मच सुबह–शाम लेने से मलेरिया बुखार में काफी फायदा होता है।
- यदि घर के चारों ओर पुदीने के तेल का छिड़काव कर दिया जाये तो मक्खी, मच्छर आदि भाग जाते हैं।
चने एवं सरसों का साग
यह सब्जियां मौसमी सब्जियां
हैं, इनका सेवन भी आरोग्य
प्रदायक है।